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भारत की स्वतंत्रता का यह इतिहास महिलाओं के पराक्रम के बिना अधूरा : शिंदे 

भारत की स्वतंत्रता का यह इतिहास महिलाओं के पराक्रम के बिना अधूरा : शिंदे 



नई दिल्ली । स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, प्रशासन इसतरह के विविध क्षेत्रों में महिलाओं ने बेहतर काम कर राज्य के विकास में बड़ा योगदान देकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है, यह प्रतिपादन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया। कार्यक्रम में विधायक रवींद्र फाटक (वीडियो कॉन्फ्रेंस), पद्मश्री राहीबाई उपेरे, जिलाधिकारी गोविंद बोडके, जिला पुलिस अधीक्षक बाळासाहेब पाटिल, विश्वास फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. विश्वास वळवी एवं वरिष्ठ अधिकारी व नागरिक उपस्थित थे। 

मुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि भारत की स्वतंत्रता का यह इतिहास महिलाओं के पराक्रम एवं उनकी गाथा के बिना पूरा नहीं हो सकता। राजमाता जिजाऊ, सावित्रीबाई फुले, रमाबाई रानडे ने समाज के अपना योगदान देकर समय बहुत संघर्ष किया है। उनके संघर्ष से आज की पीढ़ी को प्रेरणा मिल रही है। 

उन्होंने बताया कि लड़कियों के सक्षमीकरण के लिए लेक लाडकी योजना चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत पिले और केशरी रंग के कार्डधारक लड़कियों को इस योजना का लाभ होगा। लड़की का जन्म होने के बाद 5 हजार रुपये, पहली कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 4 हजार रुपये, कक्षा छठवीं में 6 हजार रुपये, 11 वीं कक्षा में प्रवेश लेने के बाद 8 हजार रुपये और लड़की जब 18 साल की होगी, तब उसे 75 हजार रुपये निधि देने का निर्णय सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि पहले नौकरी करने वाली महिलाओं को 10 हजार रुपये व्यवसाय कर भरना पड़ता था। अब इस कर की व्याप्ति बढाकर 25 हजार रुपये की गई है। जिससे 25 हजार आय (उत्पन्न) रहने वाली महिलाओं को व्यवसाय कर नहीं भरना पड़ेगा।

साथ ही राज्य परिवहन महामंडल के बस में 50 फीसदी रियायत भी महिलाओं को दी गई है। महिला बचत गुटों के लिए ई-बिजनेस प्लॅटफॉर्म तैयार किया गया है और विशेष जल्द गती न्यायालयों के सीटों की मंजूरी दी गई है। इसके लिए राज्य सरकार ने 65 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की बात मुख्यमंत्री शिंदे ने इस दौरान कहीं। मुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि ‘माता सुरक्षित तब घर सुरक्षित’ यह अभियान राज्यभर में चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत 4 करोड़ 50 लाख महिलाओं की स्वास्थ्य जांच की गई है। ‘महिला आयोग अपने द्वार’ इस संकल्पना पर आधारित महिलाओं की समस्याओं का निराकरण करने के लिए 11 जिलों में जन सुनवाई पूरी की गई है। साथ ही राज्य में विविध जगहों पर हिरकणी कक्ष की स्थापना की गई है। ठाणे जिले में 60 हिरकणी कक्ष बनाएं गए है।


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