पत्र में मनीष सिसोदिया ने लिखा, दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में काम करते हुए बहुत बार यह सवाल मन में उठता रहा कि देश और राज्यों की सत्ता तक पहुंचे नेताओं ने देश के हर बच्चे के लिए शानदार स्कूल-कॉलेज का इंतजाम क्यों नहीं किया? एक बार अगर पूरे देश में, पूरी राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा के काम में जुट गई होती तो आज हमारे देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे से अच्छे स्कूल होते। फिर क्यों शिक्षा को सफल राजनीति ने हमेशा हाशिये पर रखा? आज जब कुछ दिनों से जेल में हूं तो इन सवालों के जवाब खुद मिल रहे हैं। देख पा रहा हूं कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की जरूरत भला कोई क्यों महसूस करेगा।
उन्होंने लिखा, सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को जेल भेजकर या जेल भेजने की धमकी देकर सत्ता चलाना, देश के हर बच्चे के लिए शानदार स्कूल-कॉलेज खोलने और चलाने से कहीं ज्यादा आसान है। यूपी के हुक्मरानों को एक लोकगायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो पुलिस का नोटिस भेज उसे जेल जाने की धमकी भिजवा दी। अरविंद केजरीवाल जी का गुनाह तो इतना बड़ा है कि आज मोदीजी की राजनीति के समक्ष वैकल्पिक राजनीति ही खड़ी कर दी है, इसके चलते आज केजरीवाल सरकार के दो मंत्री जेल में हैं। तस्वीर एकदम साफ दिख रही। जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा और ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि यह नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है।