आरोप लगाया गया था कि राजशेखर उत्पीड़न और धमकियों के संगठित अपराध में खुले तौर पर शामिल थे। अब केजरीवाल सरकार ने इन अधिकारी पर सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि सतर्कता विभाग के विशेष सचिव रहते हुए इन्होंने छोटे-मोटे पुराने मामलों में भी अधिकारियों से ही रिश्वत मांगी है। इसतरह के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार के पास शिकायतें भी की हैं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर राजशेखर को पद से हटाया गया है।
आप सरकार ने कहा है कि राजशेखर का दामन पहले से ही दागदार रहा है। सीबीआई, एसीबी और सीवीसी द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार से जुड़े कई मामलों की पहले से ही जांच चल रही है। सरकार को इनके खिलाफ विस्तृत शिकायत मिली है, जिसमें दावा किया गया है कि इन्हें जानबूझकर गोवा से दिल्ली लाकर आपराधिक कदाचार के बावजूद सेवा एवं सतर्कता विभाग में जिम्मेदारी दी गई थी।
वहीं राजशेखर का कहना है कि एनडीएमसी में रहने के दौरान उनके खिलाफ ये शिकायतें वहां के कर्मचारी किशोर प्रसाद और रक्षा सहायक महात्मा महतो ने की थीं। उन्होंने कहा कि सीवीओ एनडीएमसी की 12 नवंबर, 2018 की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय द्वारा इन शिकायतों की पहले ही जांच की जा चुकी है और झूठी शिकायत करने के लिए शिकायतकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करते हुए गृह मंत्रालय ने पत्र भी जारी किया था।