Monday, 20 May

पूरे विश्व में सनातन धर्म एक मात्र ऐसा धर्म है जो लाखों वर्षों से चला आ रहा है , सत्य युग से त्रेता युग और द्वापर से कलयुग तक समय के साथ हम सभी को शिक्षित करता आ रहा है , अनोखी बात यह है की आज हम जिस आधुनिक दुनिया में है और हम जो आधुनिक शिक्षा ले रहे है उसका फाउंडेशन हमारे सनातन ग्रंथो की ही देन है, सूक्ष्मता से विचार किया जाए तो विष्णु पुराण, रामचरित मानस एवं महाभारत में आज के लगभग सभी विषय समाहित है अर्थशास्त्र, राजनेतिक विज्ञान, प्रबंधन, सामाजिक शास्त्र एवं विधि न्याय इन सभी की झलक हम विस्तार से अपने ग्रंथो में देख सकते है और साथ ही एक ऐसा विषय जिस पर विश्व के महान मनोचिकित्सक प्रो सिगमुड फ्राइड ने अनेकों शोध किए वह है साइकोलॉजी, महाभारत एवं रामायण में साइकोलॉजी की एक विशेष भूमिका है जैसे रावण – दुर्योधन का हठी स्वभाव, श्री कृष्ण द्वारा भागवत गीता में समझाई गई जीवन शैली, प्रभु श्री राम का मर्यादा पुरुषुत्तम व्यक्तित्व और सत्य युग से कलयुग तक धर्म अधर्म का ज्ञान यह सभी हमे अपने सनातन धर्म में समाहित मिलता है। किरो जैसे महान अंकशास्त्री ने भी भारत में वर्षों बिताए और सनातन धर्म से ज्योतिष विद्या का ज्ञान प्राप्त किया और विश्व की महान हस्तियों को मार्ग दिखाया , लंदन के एक समाज सेवक हेनरी शुगर ने एक पुस्तक से सीखा की ध्यान करने से आप वह सब प्राप्त कर सकते है जो कल्पना से परे है।

लेखक: प्रो पर्व परमार

दक्षिण भारत के सभी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर , सूर्य मंदिर , खजुराहो के मंदिर , 12 ज्योतिर्लिंग और अयोध्या में बना प्रभु श्री राम का विश्व प्रसिद्ध मंदिर यह सभी आज के सिविल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है , ऐसे कई विषय है जिनका हम यदि गहन अध्यन करेंगे तो उसकी जड़े हमे बेशक हमारे सनातन धर्म से जुड़ी मिलेंगी , हिंदू धर्म में बताई गई सभी रीतियां, नियम एवं अनुष्ठान सभी का एक वैज्ञानिक महत्व है और मेरा ऐसा मानना है की भारत एक ऐसा देश है जो सनातन धर्म के ज्ञान का भंडार है यहां ऐसे ऐसे दिव्य पुरुष हुए है और इतने अलौकिक चमत्कार देखने मिले है की विश्व के महान वैज्ञानिकों के लिए हमारा देश एक अध्यन का बहुत बड़ा विषय बन चुका है और हमारे देश के सभी प्रबुद्ध जन, शिक्षक , वैज्ञानिक , प्राचार्य , लेखक एवं दार्शनिक जनों को यह दायित्व रखना चाहिए की हम आने वाली पीढ़ी को अपने देश के गौरव और सनातन धर्म की शिक्षा देते रहे और ठीक वैसा ही राष्ट्र निर्मित करे जो 1835 में लॉर्ड मैकाले ने देखा था, उन्होंने ने कहा था की ” मैने भारत में भ्रमण किया और देख की यहां कोई भी अशिक्षित एवं गरीब नही है” यह इसीलिए संभव हुआ है क्योंकि देश का हर बच्चा अपने सनातन धर्म से शिक्षा लेता रहा है, आज हमे वही भारत बनना है जहा हर बच्चा शिक्षित हो और अपने देश और सनातन धर्म को विश्व पटल पर एक गौरवपूर्ण स्थान दिला सके।

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