आज पूरा मध्यप्रदेश अघोषित बिजली कटौती की मार झेल रहा है; परंतु महाकौशल जबलपुर की स्थिति और भी दयनीय है। मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों सहित बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के सारे दावे फेल नजर आते हैं। एक घंटे में दस बार बिजली का जाना सिर्फ चिंता और समस्या का विषय ही नहीं है बल्कि आर्थिक रूप से नुकसान दायक भी है। बार-बार बिजली के ट्रिप होने से बहुत तेजी से इलेक्ट्रिक उपकरण ख़राब हो रहे हैं जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ बन रहा है। कई बार बिजली का अनियंत्रित वोल्टेज आधुनिक क्षमता वाले उपकरणों की क्षमता की सीमा लाँघ जाता है; परिणामस्वरूप उपकरण ख़राब हो जाते हैं।
मानसून भी दस्तक दे चुका है जिससे हल्की बारिश के शुरू होते ही बिजली गुल होना पूरे विभाग की पोल खोल देता है। जिसे दुरुस्त करने की कोई तैयारी नहीं है विभाग के पास और घंटों तक लाइन न सुधार पाना इसके प्रमाण हैं कि तैयारी पुरजोर तरीके से नहीं की गयी। इस तरह की बिजली ट्रिपिंग जब महानगर जबलपुर के शहरी इलाकों में है तो ग्रामीण क्षेत्रों की दशा और भी दयनीय है इसका विधिवत अंदाज लगाया जा सकता है। ग्रमीण क्षेत्रों के जले हुए ट्रांसफॉर्मर जो महीनों पूर्व जले थे उन्हें आजतक नहीं बदला गया जिससे ग्रामीण जनों को इस बरसात के मौसम में अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन अँधेरे दिनों का भी बिजली विभाग लम्बा-चौड़ा बिल थमा देते हैं जिससे जनता का आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। जनता में बिजली व्यवस्था के विरुद्ध अत्यंत रोष व्याप्त है। एक तरफ मासूम बच्चों की पढाई प्रभावित हो रही है वहीं रोजमर्रा के सभी जरुरी काम प्रभावित होते हैं।
मप्र बिजली में सरपल्स राज्यों की श्रेणी में आता है फिर इस तरह की स्थिति निर्मित होना जनता को मानसिक एवं आर्थिक रूप से परेशान करने की साजिश प्रतीत होता है; जिसका जवाब देने से जिम्मेदार कतराते नजर आते हैं। आखिर विभाग की गलती से निर्धारित वोल्टेज से कम/अधिक देने के कारण ख़राब हो रहे उपकरणों की जिम्मेदारी भी विभाग की बनती है जिसका मुआवजा भी विभाग द्वारा ग्राहकों को मिलना चाहिए। साथ ही जनता का ख्याल रखते हुए इस बिजली के गुल होने पर पूर्ण पाबंदी लगना चाहिए।
लेखक – प्रशांत के लाल
जबलपुर संभागीय उपाध्यक्ष
श्रमजीवी पत्रकार संघ