सर्वोच्च न्यायालय ने जिस तरह राहुल गांधी के मामले में टिप्पणियां की हैं, उससे गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश का पूर्वाग्रह ही दिखता है। ऐसा लगता है कि जिस न्यायाधीश ने राहुल गांधी को अधिकतम सजा दी, या तो किसी दबाव में दो या फिर उन्हें सत्ता पक्ष से कोई लालच रहा होगा। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी देखें तो इसमें कई संदेश छिपे हैं। सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल होने को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। पूर्व लोकसभा सचिव पीडीटी आचारी कहते हैं कि सजा पर रोक का मतलब है कि अब राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कोर्ट की टिप्पणी के अलावा ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया। यदि सजा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होता। ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं। हालांकि, अपीलीय अदालत और हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे मामलों में सार्वजनिक व्यक्ति से कुछ हद तक सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है।
आदेश के मुताबिक, ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। इन बातों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से यह कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है जिससे अयोग्यता हुई है, कार्यवाही के लंबित रहने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। अपील के लंबित रहने से अपीलीय अदालत को कानून के अनुसार निर्णय लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं होते हैं। सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। कोर्ट ने अवमानना याचिका में राहुल के हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था।
राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल होने को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। पूर्व लोकसभा सचिव पीडीटी आचारी कहते हैं कि सजा पर रोक का मतलब है कि अब राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो जाएगी। नियम यही कहता है भले ही ये अंतरिम रोक क्यों न हो। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है जब किसी सांसद को निचली अदालत से सुनाई गई सजा की वजह से उनकी सदस्यता गई, लेकिन ऊपरी अदालतों के आदेश के बाद उनकी सदस्यता बहाल हो गई।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट के अनेक फैसलों पर मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही सरकारें कार्रवाई कर देती हैं। लेकिन इस मामले में सरकार और लोकसभा स्पीकर आदेश की सर्टिफाईड कॉपी का इंतजार कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार लोकसभा सचिवालय अधिसूचना जारी करेगा उसके बाद ही राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो पाएगी।