कानपुर
भारत-पाक के बीच युद्ध जैसे हालात बनने पर तुर्किए पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हुआ था। वर्तमान परिस्थितियों और तुर्किये के व्यवहार को देखते हुए सीएसजेएमयू ने इंस्ताबुल यूनिवर्सिटी के साथ हुए एमओयू को रद्द कर दिया है। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने इंस्ताबुल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को पत्र लिखकर एमओयू रद्द करने की जानकारी दे दी है।
पत्र में कहा गया है कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर तत्काल प्रभाव से इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ हाल ही में निष्पादित समझौता ज्ञापन (एमओयू) को औपचारिक रूप से समाप्त करता है। यह निर्णय सीधे तौर पर तुर्की द्वारा एक ऐसे राष्ट्र के साथ गठबंधन करने के लिए अपनाए गए गंभीर भू-राजनीतिक रुख से उपजा है जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है।
यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ सीधे या मौन रूप से जुड़े किसी संस्थान को एक विश्वसनीय अकादमिक सहयोगी के रूप में नहीं माना जा सकता है। ऐसा करना राष्ट्र हित, सम्मान और सुरक्षा के मूलभूत सिद्धांतों को कमजोर करना होगा। जबकि हम वैश्विक शैक्षणिक संवाद के कट्टर समर्थक बने हुए हैं, इस तरह की सहभागिता भारत के मूल राष्ट्रीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की कीमत पर नहीं हो सकती और न ही होनी चाहिए।
उम्मीद है कि इस्तांबुल विश्वविद्यालय इस घटनाक्रम की गंभीरता को पहचानेगा और इस अपरिवर्तनीय निर्णय के पीछे के तर्क को समझेगा। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ शैक्षिक गतिविधियों और अनुसंधान के लिए करार किया गया था। अभी इस दिशा में काम होना बाकी था लेकिन वर्तमान परिस्थितियों और तुर्किये के व्यवहार को देखते हुए एमओयू को रद किया गया है। ऐसे देश के साथ कोई साझेदारी नहीं की जा सकती है जो देश विरोधी है।
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