भोपाल। पूर्व विधायक दंपती अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा ने कांग्रेस छोड़कर BJP में क्यों वापसी की? इसका जवाब अभय मिश्रा की ओर से कमलनाथ को दिए गए लेटर में है। यह लेटर उन्होंने कांग्रेस छोड़ने से 3 दिन पहले 8 अगस्त को कमलनाथ से मुलाकात करते हुए सौंपा था।
2008 में अभय और उनकी पत्नी 2013 में रीवा की सेमरिया सीट से BJP विधायक रह चुकी हैं। 2018 का चुनाव अभय मिश्रा ने अपनी परंपरागत सीट सेमरिया छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर रीवा से लड़ा। BJP के राजेंद्र शुक्ल से 18089 वोट से हार का सामना करना पड़ा। राजेंद्र को 69806 वोट मिले थे।
2023 विधानसभा चुनाव के लिए अभय सेमरिया सीट से तैयारी में जुटे थे। कांग्रेस की ओर से उन्हें टिकट की हरी झंडी मिल भी गई थी। उन्होंने 11 अगस्त को कांग्रेस छोड़ दी। भोपाल में पार्टी कार्यालय पर सदस्यता ली। 8 अगस्त को उन्होंने कमलनाथ को दिए लेटर में रीवा जिले में कांग्रेस के प्रभारी और पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बीजेपी विधायक के रिश्तेदार हैं प्रतापभानु शर्मा
उन्होंने यह तक लिखा है कि प्रताप भानु शर्मा, सेमरिया से BJP विधायक केपी त्रिपाठी के सगे भाई के रिश्ते में मामा ससुर हैं। वे रिश्तेदारी निभा रहे हैं। BJP विधायक के कहने पर कांग्रेस से ऐसे कैंडिडेट्स को टिकट दिलाना चाहते हैं, जिससे BJP को जीतने में आसानी हो।
सेमरिया से BJP विधायक के इशारे पर कांग्रेस का टिकट त्रियुगी नारायण शुक्ला को दिलाना चाहते हैं
प्रताप भानु शर्मा (रीवा जिला प्रभारी कांग्रेस), BJP विधायक केपी त्रिपाठी के सगे भाई के रिश्ते में मामा ससुर हैं। रीवा जिले में केपी त्रिपाठी के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब ये रीवा आए, तभी से मेरे खिलाफ राजनैतिक मुहिम चला रहे हैं। इन्होंने रवि जोशी (खरगोन विधायक) से बोला था कि मैं चाहता हूं कि किसी तरह अभय मिश्रा पार्टी छोड़कर चला जाए। आप, रवि जी से पूछ सकते हैं।
पिछले चुनाव में मैंने खुद त्रियुगी नारायण शुक्ला ‘भगत’ (सेमरिया सीट से 2018 का चुनाव लड़ा। BJP के केपी त्रिपाठी ने हराया) का नाम टिकट के लिए रिकमंड किया था, क्योंकि 2008 में मेरे विधायक होने के बाद 2013 में मेरी पत्नी उस समय सेमरिया से वर्तमान विधायक थीं। मैंने त्रियुगी नारायण शुक्ल का साथ दिया, इन्हें विधानसभा चुनाव में कभी भी मुझसे कोई शिकायत नहीं हुई ।
प्रदीप सोहगौरा, दिवाकर द्विवेदी और सत्य नारायण चतुर्वेदी ने BJP प्रत्याशी का खुलकर साथ दिया, पैसे दिए। इसकी वॉइस कॉल की रिकार्डिंग वायरल हुई। आपने त्रियुगी नारायण शुक्ल (अध्यक्ष, कांग्रेस कमेटी जिला रीवा) की शिकायत पर पार्टी से इन्हें बाहर किया। एक साल के अंदर ही इन्हें पार्टी में पुन: वापस ले लिया।
आज प्रताप भानु के सर्वाधिक खास यही सत्य नारायण, प्रदीप सोहगौरा, दिवाकर हैं। ये दो बार हार चुके कांग्रेस प्रत्याशी त्रियुगी नारायण शुक्ला को तीसरी बार टिकट (सेमरिया से) इसलिए दिलाना चाहते हैं, क्योंकि केपी त्रिपाठी ने इन्हें यह काम सौंप रखा है, ताकि भाजपा विधायक आसानी से जीत सकें।
कांग्रेस के जिताऊ कैंडिडेट के खिलाफ काम कर रहे रीवा के प्रभारी प्रताप भानु
रीवा जिले से कांग्रेस प्रभारी प्रताप भानु, गुढ़ में कपिध्वज के विरुद्ध, त्योंथर में रमाशंकर के विरुद्ध, देवतालाब में जयवीर के विरुद्ध, सिरमौर में राजमणि पटेल व गिरीश सिंह के विरुद्ध, रीवा में राजेंद्र शर्मा के खिलाफ अंदर ही अंदर काम कर रहे हैं। जबकि, वर्तमान में यही सब जिताऊ कैंडिट हैं।
मंगू को जानबूझकर रीवा से हटवाया
इन्होंने अपनी मनमानी करने के उद्देश्य से रीवा शहर कांग्रेस अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू को जानबूझकर रीवा से हटवाया है, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में रीवा शहर में कांग्रेस को नुकसान संभावित है।