Thursday, 15 May

जयपुर.

Natcon 2024 के 79 चैप्टर में शामिल हुए एक हजार से ज्यादा डॉक्टर्स ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस दौरान बीमारियों के सफल इलाज को हासिल करने के लिए नई दवाओं के उपयोग पर भी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम के दौरान ही जानकारी मिली कि कबूतर जानलेवा साबित हो रहे हैं।

दिल्ली के डॉक्टर के जेके सैनी ने बतया कि आपकी छत और बालकनी में बैठा हुआ कबूतर जानलेवा साबित हो सकता है। डॉक्टर सैनी ने बताया कबूतर की वजह से आपके फेफड़ों सूजन हो सकती है। धीरे-धीरे यह सूजन गंभीर रूप ले लेती हैं, जिससे मरीज की जान तक जा सकती है। डॉ. सैनी ने बताया कि मरीजों को पता ही नहीं होता कि उनकी छत, बालकनी या उनके घरों में बैठने वाला कबूतर जानलेवा साबित हो सकता हौ। इन कबूतर की ड्रॉपलेट किसी भी इंसान के शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों में एकत्र हो जाती है। एक समय के बाद में एकत्र हुई ये ड्रॉपलेट फेफड़ों में सूजन पैदा कर देती हैं, जिसके कारण फेफड़ों के आकार में विकृति पैदा हो जाती है। सांस लेने में समस्या उत्पन्न होने लग जाती है।

मरीजों से होता है पहला सवाल
डॉ. सैनी ने बताया कि जब सांस की शिकायत लेकर मरीज हमारे पास ओपीडी में आता है तो हम उनसे जानने का प्रयास करते हैं कि उनके पास कोई पालतू जानवर या फिर उनकी छत या बालकनी में कबूतरों का आना-जाना या वो कहीं कबूतरों को दाना डालने जाते हैं क्या? ये सब जानने के बाद मरीज का इलाज संभव हो सकता है। इलाज के साथ मरीज को सलाह दी जाती है कि वह प्राथमिकता के साथ कबूतरों का बैठना और अगर कोई पालतू पशु उनके घर में है तो उससे दूरी बनाएं। डॉ. सैनी ने कहा कबूतर जालियों का उपयोग करें। अपने घर की खिड़कियों पर लगे कूलर, एसी पर कुछ ऐसी व्यवस्था करें, जिससे कबूतर वहां न बैठ सकें अन्यथा हवा के साथ सीधी ड्रॉपलेट आपकी सांस के माध्यम से फेफड़ों में जाने की अधिक संभावना बनी रहती है।

कितने कबूतर घातक सिद्ध हो सकते हैं
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर सैनी ने बताया हर मानव की शारीरिक संरचना और ढांचा अलग-अलग होता है। इसलिए हर व्यक्ति की सेंसिटिविटी भी अलग है, जो भी व्यक्ति एलर्जिक है और हाइपरसेंसेटिव है उसके संक्रमित होने के चांसेस बहुत ज्यादा हैं। इस स्थिति में एक कबूतर भी अगर है तो वह भी घातक सिद्ध हो सकता है।

कौन सबसे ज्यादा रिस्क पर है
डॉ. सैनी के अनुसार जिस भी व्यक्ति को धूल, मिट्टी, पेड़ पत्ती धूप, सर्दी मौसम बदलने के साथ में एलर्जी होती है। वह व्यक्ति इस बीमारी के लिए सबसे ज्यादा हाइपरसेंसेटिव है।


Source : Agency

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