Saturday, 14 June

उदयपुर/जयपुर
12 जून 2025… तारीख़, जो राजस्थान के कई परिवारों की किस्मत में मातम लिख गई। अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ा विमान हादसे का शिकार हो गया और इस दुर्घटना ने राजस्थान के 11 लोगों की सांसें छीन लीं। जिन घरों में कल तक हंसी-ठिठोली गूंजती थी, वहां आज चीत्कार है। जिन आँखों में लंदन के सपने पल रहे थे, आज वे बंद हो चुकी हैं।

बांसवाड़ा के एक पूरे परिवार का साया छिन गया
डॉ. कोनी व्यास… बांसवाड़ा की जानी-मानी डॉक्टर। पति के साथ लंदन बसने का सपना था। इस्तीफ़ा दिया, दुनिया छोड़ दी। उनके साथ पति प्रदीप जोशी, बेटा प्रद्युत, बहू मिराया और पोता नकुल… पूरे परिवार के लिए वह सफ़र लौटना नहीं लिखा था। अब बांसवाड़ा के उस मकान में वीरानी पसरी है, जहाँ कभी बच्चों की किलकारियाँ गूंजती थीं।

उदयपुर के मार्बल कारोबारी के इकलौते सहारे छिन गए
संजीव मोदी के बेटे शुभ और बेटी शगुन भी इस विमान में सवार थे। दोनों लंदन घूमने जा रहे थे। एमबीए कर पिता का व्यवसाय संभाल रहे थे। पिता संजीव मोदी तो बस बच्चों को एयरपोर्ट छोड़ने भर अहमदाबाद गए थे…कहां जानते थे कि ये ‘बाय-बाय’ आख़िरी था। उदयपुर के सहेली नगर स्थित उनके घर के दरवाज़े पर अब सांत्वना देने वालों का मेला लगा है। हर कोई एक ही बात कह रहा— “किस्मत से बड़ा कुछ नहीं।”

खुशबू की आख़िरी मुस्कान… पिता के साथ सेल्फी, जो अब ‘याद’ बन गई
बालोतरा की खुशबू राजपुरोहित… जनवरी में ब्याह हुआ था। पति लंदन में डॉक्टर हैं। वह पहली बार जा रही थी ससुराल। बाप के साथ अहमदाबाद पहुंची थी। पिता मदन सिंह उसे एयरपोर्ट तक छोड़ लौट रहे थे कि हादसे की ख़बर मिल गई। पिता-पुत्री की एयरपोर्ट की जो आख़िरी फोटो है, वही अब पूरे गांव में वायरल है। हर कोई देख रहा है, हर आंख भीग रही है। किसे पता था कि यह आख़िरी ‘विदाई’ है?

वल्लभनगर के वरदीचंद, रोहिड़ा के प्रकाश… लंदन में पसीना बहाकर पेट पालने निकले थे
वरदीचंद मेनारिया और प्रकाश मेनारिया… दोनों दोस्त… दोनों कुकिंग का काम करते थे लंदन में। 20 जनवरी को छुट्टी पर आये थे। कुछ दिन परिवार के साथ बिताए… और अब लौट रहे थे। मगर यह वापसी ‘परम वापसी’ बन गई। उनके गांवों में सन्नाटा है। बूढ़ी मां, बिलखते बच्चे, बेसुध पत्नी… इस मंज़र को शब्द बयां नहीं कर सकते।

पूर्व विधायक के दोहिते अभिनव परिहार भी नहीं बचे
बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक किशनाराम नाई के नाती अभिनव परिहार भी इस विमान में थे। लंदन में बिज़नेस करते थे। दादा को अपनी कामयाबी का सपना दिखाने वाले अभिनव आज ख़ुद कहानी बन गए हैं… अधूरी कहानी।

कहाँ से लाऊं वो शब्द जो इस पीड़ा को बयां कर सकें
एक ही हादसा… राजस्थान के 11 परिवारों का दीप बुझ गया। हर शहर, हर गांव, हर मोहल्ला रो रहा है। किसी के इकलौते बेटे की अर्थी उठी, कहीं बाप-बेटा दोनों चले गए, कहीं बहन-भाई साथ लंदन जाने के लिए निकले थे और अब साथ ही ताबूत में लौटेंगे।

 


Source : Agency

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