नई दिल्ली । चुनाव आयोग ने ईवीएम के बचाव में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। आयोग ने कहा है कि वीवीपैट द्वारा सत्यापित करना वोटर का मौलिक अधिकार नहीं है। बता दें कि हाल में होने वाले विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसमें आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ-साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल का बचाव किया है। हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पूर्व ईवीएम को बदनाम करने का एक और प्रयास किया जा रहा है। यह कोशिश बार-बार होती रहेगी। आगामी राज्य चुनावों में सभी ईवीएम में वीवीपैट से गिनती करने की याचिका पर चुनाव आयोग की तरफ से यह हलफनामा दाखिल किया गया है। इस हलफनामे में चुनाव आयोग ने एडीआर की याचिका का विरोध किया है। चुनाव आयोग ने एडीआर की याचिका को अस्पष्ट और आधारहीन बताते हुए ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास कहा है।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अमित शर्मा के माध्यम से हलफनामा दाखिल किया है। चुनाव आयोग का अनुमान है कि ईवीएम और वीवीपैट प्रणाली पर संदेह जताने वाली वर्तमान याचिका 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ऐसी आखिरी याचिका नहीं होगी। हलफनामे में कहा गया है कि, मतदाता को वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि उनका वोट डाला गया है और दर्ज के रूप में गिना गया है। चुनाव नियमों के संचालन के प्रावधान किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि यह मुद्दा कितनी बार उठाया जाएगा? यह अदालत पहले ही जांच एक प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर चुकी है।
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