Friday, 2 May

मूलरूप से आग का लगना एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें ऊष्मा और प्रकाश पैदा होते हैं. आग जलने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक है-ईंधन, आक्सीजन या वायु तथा ऊष्मा, जो ईंधन का तापमान ज्वलनांक तक बढ़ा सके. आग बुझाने के लिए इन तीनों कारणों में से किसी एक या एक से अधिक कारणों को नष्ट करना होता है, अर्थात् आग बुझाने के लिए या तो जलते हुए ईंधन का तापमान कम कर दिया जाए या आक्सीजन या वायु की सप्लाई काट दी जाए या जलने वाले ईंधन को ही समाप्त कर दिया जाए. सभी प्रकार के अग्निशामक इन्हीं तीन सिद्धांतों पर काम करते हैं.

पानी शायद सबसे पहला अग्निशामक (fire extinguisher) था और आज भी यह सबसे महत्वपूर्ण है. जब जलती हुई आग पर पानी डाला जाता है, तो इससे जलते हुए पदार्थ का तापमान कम हो जाता है. यानी पदार्थ का तापमान ज्वलनांक से कम हो जाता है और आग बुझ जाती है. पानी से आग कई प्रकार से बुझाई जा सकती है. पानी छिड़ककर पानी को तेज धार के रूप में डालकर आदि.

पानी से आग बुझाते अग्निशामक दल

दूसरे प्रकार के अग्निशामक सोडा-एसिड टाइप के होते हैं. इनमें पानी और कार्बन डाइआक्साइड जलती हुई आग के ऊपर पहुंचाई जाती है. इससे जलते हुए ईंधन का तापमान कम हो जाता है तथा कार्बन डाइआक्साइड आक्सीजन की सप्लाई काट देती है.

सोडा-एसिड अग्निशामकों में एक बेलनाकार बर्तन में सोडियम बाइकार्बोनेट रखा जाता है. छोटी-सी जगह में एक गंधक के अम्ल से भरी हुई बोतल रख दी जाती है. बर्तन में एक नॉब लगी होती है. जब अग्निशामक को प्रयोग में लाना होता है, नॉब को जमीन पर जोर से मारते हैं. इससे गंधक के अम्ल की बोतल टूट जाती है. इस क्रिया में अम्ल और सोडा एक दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं. इस संपर्क से एक रासायनिक क्रिया होती है, जिसमें कार्बन डाइआक्साइड पैदा होती है. यह गैस बेलनाकार बर्तन में लगे नोजल से बाहर आती है. नोजल को आग की ओर कर देते हैं. कार्बन डाइआक्साइड आग बुझाने में बहुत कारगर सिद्ध होती है. ये अग्निशामक छोटी या कम फैली हुई आग को बुझाने के लिए आफिसों, वर्कशाप आदि में काम आते हैं. ये पेट्रोल, मिट्टी के तेल या बिजली से लगी आग को नहीं बुझा सकते.

इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए झाग यानी फोम अग्निशामक प्रयोग में लाए जाते हैं. इन अग्निशामकों में पैदा हुआ झाग आक्सीजन की सप्लाई को काट देता है, अर्थात् वायु झाग के द्वारा जलने वाले स्थान तक नहीं पहुंच पाती. इन अग्निशामकों में सोडियम बाई कार्बोनेट तथा एल्युमिनियम सल्फेट का मिश्रण, जिसमें लिकोराइस का सत मिला होता है, छिड़का जाता है. इस मिश्रण से झाग पैदा होता है, जो आग बुझा देता है.

तेल और बिजली से लगी आग को बुझाने के लिए डाइआक्साइड अग्निशामक, शुष्क रसायन अग्निशामक और द्रववाष्पित अग्निशामक भी प्रयोग में लाए जाते हैं.

तेल या बिजली से लगी आग को बुझाने के लिए भूलकर भी पानी प्रयोग में नहीं लाना चाहिए. बिजली से लगी आग पर पानी डालने के शॉक द्वारा आदमी मर सकता है. यदि तेल से लगी आग पर पानी डाला जाए, तो तेल पानी से हल्का होने के कारण ऊपर आ जाता है और जलता रहता है. जैसे-जैसे पानी बहता है, तेल भी उसके साथ बहता है, जिससे आग और भी अधिक फैल जाती है. सरकारी इमारतों, कारखानों, स्कूलों आदि में अग्निशामक रखना कानूनी रूप से जरूरी है. सभी बड़े-बड़े शहरों में फायर ब्रिगेड होते हैं, जो आग पर नियंत्रण पाने का काम करते हैं.

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