त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिति
त्रिपुरा बांग्लादेश एवं बर्मा की नदी घाटियों के बीच स्थित है। इसके तीनों तरफ बांग्लादेश एवं उत्तर-पूर्व में यह असम और मिजोरम से जुड़ा हुआ है। त्रिपुरा एक पर्वतीय प्रदेश है। यहां बारामुरा, अथरामपुरा, देवतामूरा, लोंगथराई, जम्पाई एवं साखन पर्वत हैं। वेटिलिंग सिब [960 मी.] प्रमुख शिखर है। डुंबर जलप्रपात है। रूद्रसागर एवं डुंबरलेक झीलें हैं। जूरी, धलाई, मान, गोमती [गुम्टी], खोवाई, मधरी, लोंगाई एवं हावड़ा प्रमुख नदियां हैं। राज्य की करीब 56 प्रतिशत भूमि वनों से घिरी हुई है।
त्रिपुरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
त्रिपुरा का पुराना इतिहास है। प्रदेश की अपनी अनोखी संस्कृति है। राज्य के इतिहास को त्रिपुरा नरेश के बारे में ‘राजमाला’ गाथाओं एवं मुसलमान इतिहासकारों के वर्णनों से जाना जा सकता है। महाभारत एवं पुराणों में भी त्रिपुरा का उल्लेख मिलता है। त्रिपुरा नरेश की मदद 14वीं शताब्दी में बंगाल के शासकों द्वारा किए जाने का उल्लेख है। त्रिपुरा के शासकों को मुगलों एवं बंगाल के शासकों के आक्रमणों का भी सामना करना पड़ा। 19वीं शताब्दी में महाराजा वीरचंद्र किशोर माणिक्य बहादुर के शासन काल में त्रिपुरा में नए युग का सूत्रपात हुआ। इनके उत्तराधिकारियों ने 15 अक्टूबर, 1949 तक त्रिपुरा पर राज किया। देश की स्वतंत्रता के बाद 1949 में त्रिपुरा को एक राज्य बनाया गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत इसे संघ शासित क्षेत्र घोषित किया गया। अंत में 21 जनवरी, 1972 को इसे राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
त्रिपुरा की आर्थिक स्थिति
यहां के 76 प्रतिशत लोगों की जीविका का आधार कृषि है। यहां अधिकांशतः झूम कृषि होती है एवं मुख्य फसल चावल है।
इसके अतिरिक्त गेहूं, मेस्ता, पटसन, गन्ना, तिलहन, आलू की पैदावार होती है। राज्य में चाय प्रमुख उद्योग है। इसके अलावा हथकरघा, रेशम, फलों की पैकिंग, एल्यूमीनियम के बर्तन बनाना, साबुन निर्माण सहित कई उद्योग हैं।
परिवहन
त्रिपुरा में सड़कों की कुल लम्बाई 16,296 किमी. है। राष्ट्रीय राजमार्ग 400 किमी. है। रेलवे लाइन की लम्बाई 64 किमी. [ मीटर गेज] है। यहां मुख्य रेलवे स्टेशन धर्मनगर एवं मानूघाट हैं। हाल ही में अगरतला को भी रेल लाइन से जोड़ दिया गया है। मुख्य हवाई अड्डा भी अगरतला में ही है।
त्योहार
प्रदेश में तीर्थमुख और उनाकोटी में मकर संक्रांति, होली, अशोकाष्टमी, राश, बंगाली नववर्ष, दुर्गापूजा, दिवाली, जंपुई पहाड़ियों में क्रिसमस, बुद्ध पूर्णिमा आदि त्योहार मनाए जाते है। यहां के प्रमुख उत्सवों में गारिया, धामेल, बिजू और होजगिरि उत्सव, नौका दौड और मनसा मंगल उत्सव, केर और खाची उत्सव, रॉबिंदर नजरूल सुकांता उत्सव, गली नाट्य उत्सव, चोंगप्रेम उत्सव, खंपुई उत्सव, मुरासिंग उत्सव, संघाटी उत्सव, बैसाखी उत्सव (सबरूम) आदि शामिल है, जो हर वर्ष मनाए जाते हैं।
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अगरतला
अगरतला का मौसम सुहावना रहता है। यह त्रिपुरा राज्य की राजधानी भी है।
सिपाही जल वन्यजीव अभयारण्य- यहां कई तरह के पक्षियों के अलावा अनेक प्रजातियों के बंदर मिलते हैं।
उज्जयंत महल– यह महल शहर के बीचोंबीच बना हुआ है। अब इसे विधानसभा भवन बना दिया गया है। इस महल में सात मंजिलें हैं और बीच में तीन गुंबदें बनी हुई हैं। हिंदु– मुस्लिम वास्तुशिल्प का यह अद्भुत नमूना है। महल के अंदर कई फव्वारे और बाग बने हैं।
कुंजबन महल– इसे महाराज वीरेंद्र किशोर ने बनवाया था। अब इसे राज्यपाल का सरकारी निवास बना दिया गया है। नीर महल इसे 1930 में वीर विक्रम किशोर ने बनवाया था। यह सुंदर महल झील के बीचोंबीच बना हुआ है।