Sugar Production: उत्तर प्रदेश अब चीनी उत्पादन में भी आगे बढ़ रहा है। इस राज्य ने 2022-23 के पेराई सत्र में चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र को भी पछाड़ दिया है। जबकि इस सत्र में राज्य में 118 चीनी मिलें काम कर रही हैं। वहीं महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलें काम कर रही थीं। उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास और चीनी मिल मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी (Laxmi Narayan Chaudhary ) ने कहा कि जहां तक चीनी के उत्पादन की बात है तो उत्तर प्रदेश कई अन्य कारकों (factors) के साथ महाराष्ट्र से आगे है।
चौधरी ने आगे बताया कि चीनी सीजन 2022-23 में उत्तर प्रदेश में कुल 107.29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। जिसमें 3.05 लाख टन खांडसारी (Khandsari) शामिल है। जबकि महाराष्ट्र में 105.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। महाराष्ट्र में गन्ने की खेती 14.87 लाख हेक्टेयर में की जाती है। वहीं उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती का क्षेत्र 28.53 लाख हेक्टेयर है। यह भारत में सबसे ज्यादा है।
पेराई का मौसम अक्टूबर से जून तक
पेराई का मौसम अक्टूबर से जून तक होता है। चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन 2,348 लाख टन रहा, जबकि महाराष्ट्र में यह 1,413 लाख टन था। उन्होंने कहा कि 2022-23 के सत्र में उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों की ओर से कुल गन्ने की पेराई 1,084.57 लाख टन थी। जबकि महाराष्ट्र में यह 1,053 लाख टन रही। मंत्री ने आगे बताया कि सूबे में 19.84 लाख टन चीनी को एथनॉल (ethanol) में बदला गया है। जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 15.70 लाख टन था। दोनों राज्यों में स्थापित चीनी मिलों की संख्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 246 चीनी मिलें स्थापित की गई है। वहीं उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 157 है।
कई मिलों ने किसानों का किया भुगतान
उत्तर प्रदेश में 118 चीनी मिलें काम कर रही हैं। जबकि महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलें काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि 2022-23 सत्र में किसानों को 28,494.32 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। प्रदेश की करीब 80 चीनी मिलों ने काम खत्म होने के एक हफ्ते के भीतर किसानों को पूरे पैसे दे दिए हैं।
BJP सरकार ने शुरू की नई मिलें
चौधरी ने कहा कि राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) निर्देशों और प्राथमिकताओं के तहत पिछले 6 साल में चीनी मिलों ने 2,11,700 करोड़ रुपये (किसानों को) का पेमेंट किया है। पिछली सरकारों के कार्यकाल में 12 चीनी मिलें बेची गईं हैं। जबकि 18 चीनी मिलें बंद थीं। उन्होंने कहा कि 2017 में राज्य में BJP की सत्ता आने के बाद हमने नई मिलें खोली हैं। वहीं कुछ मिलों की क्षमता बढ़ाई गई है।
पिछली सरकारों पर अपना हमला करते हुए चौधरी ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के शासन (2007 से 2012 तक) के दौरान गन्ना किसानों को 93,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार (2012 से 2017 तक) में लगभग 95,215 करोड़ रुपये भुगतान किया गया था।
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