Fitch Ratings India : सरकार फिस्कल डेफिसिट के 4.5 फीसदी के टारगेट को 2025-26 तक हासिल करने की पूरी कोशिश करेगी। Fitch Ratings के डायरेक्टर और इंडिया के लिए प्राइमरी रेटिंग एनालिस्ट Jeremy Zook ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल के दौरान इंडिया ने फिस्कल डेफिसिट के अपने टारगेट को हासिल किया है। इसलिए ऐसा लगता है कि सरकार ने फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को हासिल करने के लिए कोशिशें बढ़ाई हैं। इंडिया के रेवेन्यू कलेक्शंस में लगातार वृद्धि हो रही है। अप्रैल में जीएसटी कलेक्शं 1.87 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। यह जीएसटी का सबसे ज्यादा कलेक्शंस है।
रेवेन्यू कलेक्शंस में आ सकती है कमी
Zook का मानना है कि रेवेन्यू कलेक्शंस की ग्रोथ आने वाले दिनों में घट सकती है। इसलिए सरकार को फिस्कल कंसॉलिडेशन के लिए अपने खर्च में कमी करनी पड़ सकती है। चूंकि सब्सिडी में पहले से कमी देखने को मिल रही है, जिससे पूंजीगत खर्च में कटौती हो सकती है। जूक ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम यह बात कह रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस तरह के कदम स्वाभाविक हैं।
इंडिया की BBB रेटिंग 17 साल से बरकरार
इंडिया ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर जिस तरह से फोकस किया है, वह मीडियम टर्म ग्रोथ के लिए पॉजिटिव है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हमारा मानना है कि आगे सरकार के लिए बैलेंस बनाना मुश्किल होगा। सरकार को एक तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर गैप को भरना है तो दूसरी तरफ FDI आकर्षित करने के उपाय करने हैं। जून की यह टिप्पणी तब आई है, जब Fitch ने इंडिया की BBB रेटिंग की पुष्टि की है। इस साल अगस्त में BBB रेटिंग के साथ इंडिया 17 साल पूरे कर लेगा।
राजकोषीय स्थिति पहले से बेहतर
यह पूछने पर कि क्या इंडिया इकोनॉमी की तेज ग्रोथ के बावजूद अपनी कमजोर पब्लिक फाइनेंसेज की वजह से सबसे कम इनवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग वाले देश में बना रहेगा, उन्होंने कहा कि इंडिया की स्टेबल क्रेडिट हिस्ट्री उल्लेखनीय है। इंडिया का एक्सटर्नल फाइनेंस सात महीने पहले के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति में है। लेकिन, करेंट अकाउंट डेफिसिट में बढ़ोतरी देखने को मिली है। विदेशी मुद्रा फंडार में भी तेज गिरावट आई है।
RBI विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के उपाय करेगा
उन्होंने कहा कि करेंट अकाउंट डेफिसिट में कमी आएगी। RBI अपना विदेशी मुद्रा फंडार बढ़ाने के लिए भी कदम उठाएगा। हम इसे होता देख रहे हैं। और यह इतनी तेजी से हो रहा है, जिसका अनुमान हमने नहीं किया था। पिछले एक साल पॉलिसी रेट काफी बढ़ा है। हमे लगता है कि इसका थोड़ा असर निवेश पर पड़ सकता है।