Chanda Kochhar arrest: सीबीआई ने शुक्रवार को ICICI बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया। एक समय भारत के शीर्ष बैंकरों में से एक कोचर को सीबीआई मुख्यालय बुलाया गया था और संक्षिप्त पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। बताया गया कि उन्होंने गोलमाल जवाब दिया और जांचकर्ताओं के साथ सहयोग नहीं किया।
सीबीआई आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप से जुड़े ऋण धोखाधड़ी मामले में पूछताछ के लिए कोचर परिवार से पुलिस रिमांड मांग रही है। जांच एजेंसी ने कई आरोप लगाए हैं। आरोप लगाया गया कि वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा मंजूर किए गए ऋणों में धोखाधड़ी और अनियमितताएं थी। यह तब की बात है जब कोचर बैंक में टॉप पद पर थीं।
ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर पर क्या हैं आरोप?
चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश मामले में आरोपी बनाया है। ऋण धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी में नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई के अनुसार, वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को स्वीकृत लगभग 3,250 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाएं आरबीआई के नियमों और आईसीआईसीआई बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन थीं।
सीबीआई ने दावा किया है कि धूत ने बदले में दीपक कोचर की नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया। धूत ने यह निवेश एक कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से किया था, जिसे उन्होंने दीपक कोचर द्वारा प्रबंधित पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को स्थानांतरित कर दिया था। ये ट्रांसफर 2010 से 2012 के बीच अलग-अलग तरीकों से हुए।
1,875 रुपये के छह लोन दिए
सीबीआई ने आरोप लगाया कि 2009 और 2011 के बीच कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप और उससे जुड़ी फर्मों को 1,875 रुपये के छह ऋण वितरित किए। प्राथमिकी में कहा गया है कि चंदा कोचर 300 करोड़ रुपये और 750 करोड़ रुपये के दो मामलों में ऋण स्वीकृत करने वाली समितियों में थीं।
सितंबर 2009 में 300 करोड़ रुपये के ऋण के एक दिन बाद धूत ने नूपावर को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। चंदा कोचर ने मई 2009 में आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभाला था। यह भी आरोप लगाया गया है कि इनमें से अधिकांश ऋण गैर-निष्पादित एसेट में बदल गए।